मामाजी ने मुझे नयी साइकिल दिलायी थी | क्योंकि मै आठवीं बोर्ड की परीक्षा में अच्छे अंकों के साथ पास हुआ था | वैसे तो मेरे प्रतिशत मेरे दोस्तों से थोड़े कम आये थे | और मै रो रहा था | लेकिन फिर भी मामाजी ने मुझे नयी साइकिल दिलायी | काली कलर की स्टाइलिश साइकिल |
मुझे अंदाज़ा नहीं था की मुझे नयी साइकिल दिलाने वाले है | मामा बाहर से आये थे फिर मुझे बोला चल साथ में और मै साथ में चला गया मुझे लगा कुछ सामान लेने या फिर मुखर्जी चौक सब्ज़ी लेने के लिए साथ में लिया है | क्योकि कुछ भी सामान लाना होता मामा मुझे अक्सर साथ में लेकर जाते थे | फिर पास में ही साइकिल वाले की दुकान पर स्कूटर रोक दिया और बोला तुझे कौनसी साइकिल लेनी है देख ले | मेरी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा | क्योकि ये मेरी पहली नयी साइकिल होगी क्योकि पहले भी एक साइकिल मिली थी पर पुरानी वाली | दुकान वाले ने एक बुकलेट थमा दी उसमें अलग अलग साइकिल के फोटो थे | उस समय गियर वाली साइकिल मार्केट में मिलती थी पर इतना चलन शुरू नहीं हुआ था | और दूकान वाला भी नॉन गियर साइकिल के लिए बोल रहा था | की गियर वाली साइकिल मत लो उसमे दिक्कतें बहुत आती है |
मैंने फिर avon कंपनी की नॉन गियर साइकिल ही पसंद की, काली कलर की, मोटे टायर वाली, स्टाइलिश साइकिल जिसमे बॉटल लगाने का स्टैंड और एक प्लास्टिक की sipper वाली बॉटल भी साथ में लगी हुई आयी थी | वाह मजा आ गया था अब तो स्कूल खुलने पर नयी साइकिल लेकर स्कूल जाऊंगा | साइकिल में लॉक की चाबी का छल्ला, साइकिल साफ़ करने का कपडा लगा दिये थे |
लेकिन चिंता भी बढ़ गयी थी रात में बार बार नीचे जाकर साइकिल चेक कर रहा था की जगह पर है की नहीं? कही किसी ने चोरी तो नहीं कर ली | वैसे तो साइकिल अंदर ही रखता था | हां अंदर भी लॉक लगाकर रखता और चाबी अपने पास रखता कही कोई लेकर जाए और तोड़ कर लाये तो इसलिए ध्यान रखना पड़ता था लेकिन फुल मजे हो गए थे नयी साइकिल के कारण | थैंक यू मामाजी
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