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Showing posts from April, 2022

VCR

यह बात उस समय की है | जब CD Player या फिर DVD Player का चलन नहीं था उस समय चलता था VCR VCR, एक बड़ा सा 6-7 किलो का भारी भरकम एक इलेक्ट्रॉनिक बक्सा होता था जिसमे रील वाली बड़ी वीडियो कैसेट लगती थी | मामाजी छुट्टियों में या फिर रविवार को बड़ा बक्सा थैले में स्कूटर के आगे रखकर लेकर आते थे | तो पता चल जाता था की आज VCR किराये पर आया हैं | आज हम पुरे दिन टीवी देख सकते है | इसका सेटअप करना और चलाना भी काफी मुश्किल होता था | शुरुआत के एक - दो घंटे तो सेटअप में ख़राब हो जाते थे कुछ कैसेट चलती फिर रील खर खर करती हुई अंदर हेड में अटक जाती फिर मामाजी वीसीआर खोलकर उलझी हुई रील को पैंसिल से गुमा गुमा कर वापिस सही से लगाते थे और रिमोट से आगे पीछे करते थे |  फिर सेटअप सही से होने के बाद टीवी पर वीडियो देखने का सिलसिला शुरू होता था | पहले शुरुआत होती थी शादियों के कैसेट्स से मामा की शादी की कैसेट, फिर मौसी की शादी की कैसेट | शादियों की कैसेट देख देखकर हम तो बोर हो जाते थे क्योकि बड़े लोग बार-बार पीछे कर करके देखते और हमारा कीमती समय खराब करते थे यू...

मामा का गिफ्ट - मेरी नयी साइकिल

 मामाजी ने मुझे नयी साइकिल दिलायी थी | क्योंकि मै आठवीं बोर्ड की परीक्षा में अच्छे अंकों के साथ पास हुआ था | वैसे तो मेरे प्रतिशत मेरे दोस्तों से थोड़े कम आये थे | और मै रो रहा था | लेकिन फिर भी मामाजी ने मुझे नयी साइकिल दिलायी | काली कलर की स्टाइलिश साइकिल |   मुझे अंदाज़ा नहीं था की मुझे नयी साइकिल दिलाने वाले है |  मामा बाहर से आये थे फिर मुझे बोला चल साथ में और मै साथ में चला गया मुझे लगा कुछ सामान लेने या फिर मुखर्जी चौक सब्ज़ी लेने के लिए साथ में लिया है | क्योकि कुछ भी सामान लाना होता मामा मुझे अक्सर साथ में लेकर जाते थे | फिर पास में ही साइकिल वाले की दुकान पर स्कूटर रोक दिया और बोला तुझे कौनसी साइकिल लेनी है देख ले | मेरी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा | क्योकि ये मेरी पहली नयी साइकिल होगी क्योकि पहले भी एक साइकिल मिली थी पर पुरानी वाली | दुकान वाले ने एक बुकलेट थमा दी उसमें अलग अलग साइकिल के फोटो थे | उस समय गियर वाली साइकिल मार्केट में मिलती थी पर इतना चलन शुरू नहीं हुआ था | और दूकान वाला भी नॉन गियर साइकिल के लिए बोल रहा था | की गियर  वाली सा...

मामाजी का डर

मामाजी से हम सारे बच्चे बहुत डरते थे | मामाजी ने जो कह दिया वो मानना ही है | मामाजी का एक अलग ही खौफ था हमारे मन में | मामा के यहाँ हम सब बच्चे चाहे कुछ भी कर रहे हो, मस्ती कर रहे हो, लड़ रहे हो या खेल रहे हो | लेकिन जैसे ही उनके स्कूटर के रुकने की आवाज़ आती या फिर दरवाज़े के खुलने की आवाज़ आती या फिर उनके खाँसने की आवाज़ आती सब एक दम सीधे हो जाते | टीवी देख रहे हो तो टीवी बंद कर पढ़ने बैठ जाते | खेल रहे हो तो वो बंद कर सब शान्त बैठ जाते | सारी मस्तियाँ उनके एक खांसने की आवाज़ या दरवाज़े की खटखट के साथ ही बंद हो जाती |  मामा के स्कूटर खड़ा करने की भी एक फिक्स जगह थी | स्कूटर, हमारे कमरे की खिड़की से थोड़ा झुक कर देखने पर साफ़ दिखता | अगर हमे छत पर खेलने जाना हो या बाहर कही जाना हो तो पहले ऊपर खिड़की से स्कूटर चेक करते की स्कूटर है की नहीं? स्कूटर नहीं है तो इसका मतलब है, मामाजी कही बाहर गए है | तो खेलने जा सकते है | अगर स्कूटर अपनी जगह ही है तो मामाजी घर पर ही है | तो फिर खेलने जाना है या बाहर जाना है तो फिर दबे पाँव जाना होगा | अगर छत पर खेलने गए और मामा...